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प्रदूषण का स्वास्थ्य पर असर।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
जैसे जैसे दिवाली नजदीक आ रही है वैसे ही वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति के मद्देनजर लोगों के सांसे भी फूलने लगी है। हर साल इस मौसम में दिल्ली में लोगों को वायु प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। दूसरी तरफ सरकार अपनी पॉलिसी और आरोप प्रत्यारोपों का बखान करती हैं। कभी तो पराली को प्रदूषण का मुख्य कारण बताया जाता है तो कभी पटाखों से निकलने वाले धुएं को। इन सभी के घर में रहने वाले और बाहर काम करने वाले सभी लोगों को भीषण प्रदूषण की मार झेलनी पड़ती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ.अंशुमान कुमार ने अमर उजाला को बताया कि ये दिल्ली-एनसीआर का ये प्रदूषण कैसे आम आदमी के स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डाल रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ और कैंसर सर्जन डॉ.अंशुमान कुमार कहते है कि,वायु प्रदूषण जन्म से लेकर जिंदगी के आखिरी दिन तक इंसान पर प्रभाव डालता है। जब कोई व्यक्ति मां के पेट में होता है तभी से उसके शरीर पर वायु प्रदूषण का असर होने लगता है और अंतिम समय तक इसका प्रभाव शरीर पर रहता है। जिन इलाकों में वायु प्रदूषण अधिक होता है वहां ऐसा होता है। गर्भवती महिला में सांस के जरिए प्रदूषण के कण शरीर में चले जाते हैं। इसके बाद ये कण प्लेसेंटा की सुरक्षा को पार करते हुए भ्रूण के अंगों में भी जगह बना रहे हैं। ये कण बच्चे के शरीर में चले जाते हैं और कई बीमारियों का कारण बनते हैं। जन्म के बाद ही प्रदूषण के प्रभाव के कारण कई बीमारियां होने लगती हैं। ये ही बीमारियां आगे चलकर मौत का कारण बनती हैं।
अमर उजाला से विशेष चर्चा में डॉ.अंशुमान कहते है कि, फिल्मों में अक्सर आपने गीत सुना होगा कि पांचवा मौसम प्यार का होता है। लेकिन दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों के लिए पांचवा मौसम प्रदूषण का होता है। राजनीतिक दल इस बढ़ते प्रदूषण के लिए दीपावली और पराली को जिम्मेदार ठहराते थे। लेकिन आज दिवाली 10 दिन और छठ पूजा करीब 15 दिन दूर है। बावजूद इसके दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा हैं। आज इसके लिए कौन जिम्मेदार है। इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही है।
डॉ. अंशुमान कहते हैं कि, दिल्ली के वायु प्रदूषण शरीर के कई अंगों पर एक साथ असर करता है। इसका सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर होता है। इससे लंग्स कैंसर हो जाता है। प्रदूषण के कारण नॉन स्मॉल लंग्स कैंसर, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा होता है। हर साल ऐसे कई केस देखने को मिलते हैं जिनमें स्मोकिंग को कोई हिस्ट्री नहीं होती है, लेकिन फिर भी वो लोग लंग्स कैंसर का शिकार हो जाते हैं. इसका कारण वायु प्रदूषण ही होता है। इसके अलावा ये प्रदूषण हार्ट की बीमारियों को भी बढ़ा देता है। प्रदूषण में मौजूद छोटे-छोटे कण सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं और ये ब्लड में भी जा सकते हैं। इससे हार्ट की आर्टरी में सूजन आने के साथ कुछ मामलों में ब्लॉकेज की समस्या भी हो सकती है। जो बाद में हार्ट अटैक का कारण बनती है।
डॉ. अंशुमान कुमार बताते हैं कि वायु प्रदूषण का असर हर व्यक्ति पर ही होता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों में इससे ज्यादा परेशानी होती है। प्रदूषण सांस की कई बीमारियों का भी कारण बनता है. इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी की बीमारी होने का रिस्क रहता है। ये तीनों ही सांस की खतरनाक बीमारियां हैं और बच्चे से लेकर बड़ों तक सभी पर असर करती हैं। अगर किसी को पहले से ही अस्थमा है तो प्रदूषण के संपर्क में आने से ये बीमारी काफी बढ़ जाती है। आमतौर देखा भी जाता है कि जिस दौरान वायु प्रदूषण का लेवल बढ़ा रहता है तब अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी के मामले काफी बढ़ जाते हैं। वायु प्रदूषण के कारण हर साल लाखों बच्चे अस्थमा जैसी बीमारी का शिकार हो जाते हैं।
इस तरह से करे वायु प्रदूषण से बचाव
- जब प्रदूषण ज्यादा है तो घरों के खिड़की दरवाजे बंद रखे। लेकिन उसमें पर्याप्त वेंटिलेशन की व्यवस्था रखे। ताकि प्रदूषण के कण घर में जमा नही हों।
- वायु प्रदूषण सीधे तौर पर आम आदमी की त्वचा को भी प्रभावित कर सकता है. इसलिए कोशिश करें कि आप पूरी बाजू के कपड़े पहनें। बाहर से आने के बाद स्नान हो सके तो करे।
- घर से बाहर निकलते हुए चेहरे को अच्छी गुणवत्ता के मास्क से ढकें। नियमित समय अंतराल पर मास्क बदलते रहें।
- अगर आप बाहर जाकर सैर करते हैं या जॉगिंग करते हैं तो कुछ दिनों के लिए इससे बचें। कोशिश करें कि आप घर पर ही योग, व्यायाम करें।
- घर में ऐसे पौधे लगाएं जो प्रदूषण कम करने में मददगार हों। घरों में एलोवेरा, लिली, स्नेक प्लांट (नाग पौधा), पाइन प्लांट (देवदार का पौधा) मनी प्लांट, अरीका पाम और इंग्लिश आइवी लगा सकते हैं। यह पौधे घर की हवा को साफ करने में मददगार साबित होते हैं।
- अगर आप किसी जरुरी काम से घर से बाहर जा रहे हैं आप चश्मा पहन सकते हैं और वो भी सनग्लासेस। ऐसा इसलिए ताकि प्रदूषण से आपकी आंखों में जलन न हो सके और आपको दिक्कत न हो। इसलिए आप प्रदूषण से बचने के लिए चश्मा भी पहन सकते हैं।
- वायु प्रदूषण के दौरान बच्चों को घर से बाहर भेजने से बचें। बच्चों को घर के बाहर खेलने के लिए न भेजें, पार्क में न ले जाएं और जितना हो सके घर पर ही रहें।
वायु प्रदूषण के दौरान इस तरह का रखे भोजन
- हरी सब्जियां जैसे धनिए के पत्ते, चौलाई का साग, ड्रमस्टिक, पार्सले, गोभी और शलजम का साग विटामिन सी का अच्छे स्रोत हैं। आप इन्हें अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं।
- आंवला और अमरूद जैसे फल विटामिन सी से भरपूर होते हैं। अपनी डेली डाइट में विटामिन सी शामिल करने का सबसे आसान तरीका है दिन में दो नींबूओं का रस पी लिया जा सकता है।
- अदरक, काली मिर्च, तुलसी, मुलेठी, जायफल, पुदीना और ग्लैंगल सांस संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए फायदेमंद हैं।
- नट्स और बीज जैसे अखरोट, चिया के बीज, अलसी के बीज को दही में डालकर अपनी डाइट में शामिल करें। स्मूदी में डालें या फिर ऐसे ही खा लें।
- मेथी के बीज, सरसों के बीज, हरे पत्तेदार सब्जियां, काले चने, राजमा और बाजरा आदि ऐसे फूड हैं जिसमें ओमेगा थ्री होता है।